राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा – आम आदमी पार्टी (`आप') के लुधियाना (पश्चिम) विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार – पारंपरिक नेता नहीं हैं। राजनीति को लेकर उनका दृष्टिकोण परंपरागत तरीके से हटकर है, और यही अनोखापन उन्हें जनता के बीच दिन-ब-दिन लोकप्रिय बना रहा है।
करीब तीन साल पहले राज्यसभा सांसद बने अरोड़ा ने कभी यह नहीं सोचा था कि वे चुनाव लड़ेंगे या लोगों से वोट मांगेंगे। वास्तव में, वे हमेशा मानते थे कि वे कभी इस रास्ते पर नहीं जाएंगे। लेकिन, लुधियाना (पश्चिम) के मौजूदा विधायक गुरप्रीत सिंह गोगी के निधन के बाद पार्टी नेतृत्व ने उन्हें उपचुनाव के लिए अपना उम्मीदवार बनाने का फैसला किया – जिसे उन्होंने एक वफादार पार्टी कार्यकर्ता के रूप में बिना किसी हिचकिचाहट के स्वीकार कर लिया।
अरोड़ा का मानना है कि जब पार्टी आपको कोई जिम्मेदारी देती है, तो उसे पूरी निष्ठा और ईमानदारी से निभाना हर कार्यकर्ता का कर्तव्य होता है। राज्यसभा में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने शहर के विकास पर विशेष ध्यान दिया, खासकर स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में। उन्होंने अपने सांसद निधि का अधिकतम हिस्सा इन्हीं क्षेत्रों में आवंटित किया। नतीजतन, बीते तीन वर्षों में उन्होंने एक “विकासशील नेता” की छवि बना ली है।
अब जब वे राज्य विधानसभा की सीट के लिए चुनावी मैदान में हैं, तो वे ज़मीनी स्तर पर आम जनता से सीधा संवाद स्थापित कर रहे हैं। उनका चुनाव प्रचार केवल भाषणों तक सीमित नहीं है—वे लोगों को आमंत्रित करते हैं कि वे मंच पर आकर अपनी बातें, समस्याएं और शिकायतें खुलकर रखें। यह “ओपन माइक” शैली की बातचीत आम राजनीतिक रैलियों से बिल्कुल अलग है, जहाँ नेता केवल भाषण देकर चले जाते हैं।
अपने जनसभाओं के दौरान अरोड़ा अक्सर भीड़ में जाकर लोगों से आमने-सामने बातचीत करते हैं। वे अनजान लोगों से घुल-मिल जाते हैं, उनके कंधे पर हाथ रखकर या उन्हें गले लगाकर आत्मीयता जताते हैं। उनका यह मिलनसार और सुलभ व्यवहार लोगों को यह एहसास कराता है कि वह एक आम इंसान की तरह हैं—आसानी से मिलने योग्य, समझदार और जनता की समस्याओं को सुलझाने में ईमानदार।
खास बात यह है कि वे अधिकांश समस्याओं का समाधान मौके पर ही करने की कोशिश करते हैं और केवल वादे करने से बचते हैं। अरोड़ा कहते हैं, “मैं वादे नहीं करता, बल्कि हर संभव प्रयास करता हूँ कि लोगों की समस्याओं का समाधान निकाला जाए।”
अपनी सादगी, ज़मीनी जुड़ाव और समाधान-प्रधान सोच के साथ, संजीव अरोड़ा राजनीति में एक अलग पहचान बना रहे हैं—एक ऐसी पहचान जो शायद आम लोगों की नेताओं से उम्मीदों की परिभाषा को बदल दे।
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Gautam Jalandhari (Editor)