राजेंद्र सिंघ जादौन चंडीगढ़, 1 मई।आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब ने संगरूर में कांग्रेस और सुखपाल सिंह खैरा को बहुत बड़ा झटका दिया है। बुधवार को पूर्व विधायक और कांग्रेस के कद्दावर नेता दलवीर सिंह गोल्डी अपने पूरे परिवार और संगरूर के सैकड़ों साथियों के साथ आप के पंजाब अध्यक्ष व सीएम भगवंत मान और कैबिनेट मंत्री व आप के संगरूर से उम्मीदवार गुरमीत सिंह मीत हेयर की मौजूदगी में आप में शामिल हो गए। इस मौके पर मीडिया को संबोधित करते हुए सीएम भगवंत मान ने कहा कि यह आम आदमी पार्टी के लिए एक विशेष दिन है क्योंकि एक युवा, उत्साही और मेहनती नेता दलवीर सिंह गोल्डी आप में शामिल हो रहे हैं। भगवंत मान ने गोल्डी का आप में स्वागत किया और उन्हें आप का मफलर पहनाकर औपचारिक रूप से पार्टी में शामिल किया। सीएम मान ने धूरी से उनके खिलाफ 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ने वाले दलवीर गोल्डी को गले भी लगाया। दलवीर सिंह गोल्डी खंगुरा(41), पूर्व विधायक धुरी (2017-22), एक छात्र राजनीतिज्ञ थे। वह एस.डी. कॉलेज के 2002 में कॉलेज प्रतिनिधि थे। 2003-04 में वह स्टूडेंट यूनियन ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष बने। 2006-07 में वह पंजाब यूनिवर्सिटी कैंपस स्टूडेंट काउंसिल के अध्यक्ष बने और 2007 में कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्होंने धुरी से 2017 पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ा और 2,838 वोटों से जीते। 2022 में वह सीएम भगवंत मान से यह सीट हार गए और बाद में संगरूर लोकसभा उपचुनाव भी लड़े।मान ने कहा कि रंगला पंजाब के सपने को पूरा करने के लिए हमें कई युवा, मेहनती, ईमानदार और देशभक्त नेताओं की जरूरत है, जो पंजाब की भलाई के लिए काम करना चाहते हैं। जब अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी का गठन किया था तो उन्हें पता था कि अन्य पार्टियों में कुछ अच्छे और ईमानदार नेता हैं जो बेहतरी के लिए काम करना चाहते हैं लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है, इसलिए हमारी पार्टी उन नेताओं को एक मंच देगी, ताकि वे अपने सपनों को पूरा कर सकें और अपने राज्य की सेवा कर सकें। दलवीर गोल्डी छात्र राजनीति से आये थे। जब मैं संगरूर से सांसद था, वह विधायक थे, हमारे रास्ते अक्सर मिलते-जुलते थे, यह लोकतंत्र की खूबसूरती है कि अलग-अलग पार्टियों के लोग एक साथ मिलकर काम करते हैं। मान ने कहा कि विधायक और सांसद किसी पार्टी के नहीं होते, चुनाव परिणाम आने के बाद वह सभी के विधायक और सांसद होते हैं। जैसे मैं हर किसी का मुख्यमंत्री हूं, उन लोगों का भी जिन्होंने मुझे वोट नहीं दिया। मान ने कहा कि दलवीर गोल्डी एक मेहनती नेता हैं। वह एक सामान्य परिवार से आए और विधायक बने। उन्होंने कहा कि हर पार्टी कहती है कि छात्रों और युवाओं को सक्रिय राजनीति में आना चाहिए लेकिन जब युवा नेताओं के काम को पुरस्कृत करने की बात आती है तो वे अक्सर पीछे हट जाते हैं। जब इन युवा नेताओं को कुछ देने की बात आती है तो पारंपरिक राजनीतिक दल अपने से ऊपर उनके परिवार, रिश्तेदारों और पुराने राजनेताओं को चुनते हैं। मान ने कहा कि गोल्डी ने अपनी मेहनत के दम पर कांग्रेस और पंजाब की राजनीति में अपनी जगह बनाई, लेकिन जब कोई पार्टी ऐसे नेताओं को नजरअंदाज करती है तो उनका दिल टूट जाता है। जब किसी के काम का फल चांदी की थाली में रखकर किसी और को दिया जाता है, तो यह निराशाजनक होता है। मान ने कहा कि वह अपने छोटे भाई के रूप में दलवीर गोल्डी का आप में स्वागत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी में हाईकमान या बॉस कल्चर नहीं है, हम एक परिवार हैं। हमारे पास संगरूर में मीत हेयर जैसा युवा नेता है जो दूसरी बार विधायक और कैबिनेट मंत्री है और अब हमारे पास एक और युवा नेता दलवीर गोल्डी हैं, वे संगरूर में मेरी दो बाहों की तरह हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें गोल्डी का आप में स्वागत करते हुए बहुत खुशी हो रही है क्योंकि वह संगरूर के एक ईमानदार और जमीन से जुड़े नेता हैं। मान ने कहा कि हमारी पार्टी से आज इतने सारे युवा नेता विधायक हैं। पंजाब के लोगों ने पंजाब की राजनीति में पीढ़ी बदल दी है। ये नेता पंजाब को फिर से रंगला बनाने के लिए काम कर रहे हैं। वे अपने जुनून और समर्पण से नई इबारत लिखेंगे। उन्होंने कहा कि हमने एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा है, लेकिन हमारे बीच कोई व्यक्तिगत मतभेद नहीं है। मान ने कहा कि अगर कोई पंजाब के लोगों की सेवा करना चाहता है तो उन्हें मौका और मंच देने में उन्हें खुशी होगी। मान ने कहा कि हमारी राजनीति को ऐसे युवा चेहरों की जरूरत है जो शिक्षित हों और आम लोगों की समस्याओं से अवगत हों और लोगों के अधिकारों के लिए लड़ सकें। मान ने कहा कि गोल्डी पर आप में शामिल होने का कोई दबाव नहीं है, वह ऐसी पार्टी में आ रहे हैं जो उनके जैसे युवा नेताओं को मंच देती है। मान ने कहा कि दलवीर गोल्डी ने कांग्रेस नहीं छोड़ी है बल्कि कांग्रेस ने गोल्डी को छोड़ा है। सुखपाल सिंह खैरा पर हमला करते हुए मान ने कहा कि पिछली बार जब उन्हें 19 हजार वोट भी नहीं मिले तो उन्होंने बठिंडा के लोगों से माफी मांगी थी, इस बार 4 जून को वह संगरूर के लोगों से माफी मांगेंगे। इस मौके पर मीडिया को संबोधित करते हुए दलवीर गोल्डी ने कहा कि वह भगवंत मान के आभारी हैं कि उन्होंने उन्हें एक सक्षम नेता माना और मुझे अपनी टीम का हिस्सा बनने का मौका दिया। गोल्डी ने कहा कि मैंने भगवंत मान जी के खिलाफ चुनाव लड़ा था, मेरी पिछली पार्टी मेरे काम और आम लोगों में सम्मान के कारण असुरक्षित थी, लेकिन यह मान साहब की महानता है कि वह अपनी पार्टी में उनका स्वागत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह पार्टी द्वारा दिये गये हर कर्तव्य और जिम्मेदारी को ईमानदारी और समर्पण के साथ पूरा करने का वादा करते हैं। उन्होंने कहा कि जब भगवंत मान सांसद थे और वह विधायक थे, तब भी वह उनसे एक कबड्डी टूर्नामेंट में मिले थे, तब भगवंत मान ने उनके अच्छे कामों के लिए उनकी सराहना की थी और कहा था कि अगर उन्हें (गोल्डी को) किसी चीज की जरूरत हो तो उन्हें बताएं। गोल्डी ने कहा कि भगवंत मान ने उनके जैसे युवा नेताओं के लिए रास्ते खोले। उन्होंने कहा कि अगर हमारे युवा राजनीति में बदलाव चाहते हैं तो उन्हें राजनीति में आना चाहिए। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी से बेहतर कोई मंच नहीं है और पंजाब को रंगला बनाने के लिए उन्हें एकजुट होकर आप में शामिल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर किसी के पास सुखपाल खैरा का वीडियो है जिसमें वह संगरूर के 10 गांवों का नाम तक नहीं बता पा रहे हैं, यही समस्या है कि कांग्रेस पार्टी में योग्य नेताओं की जगह अयोग्य लोगों को मौका दिया जाता है। उन्होंने कहा कि उन्होंने और उनकी पत्नी ने टिकट के लिए आवेदन किया था क्योंकि उन्हें ऐसा करने के लिए कहा गया था, लेकिन अब सुखपाल खैरा कह रहे हैं कि उन्हें 6 महीने से अधिक समय से पता था कि वह संगरूर से चुनाव लड़ेंगे। गोल्डी ने कहा कि यह उनके जैसे युवा नेता के लिए हतोत्साहित करने वाला है, जिन्होंने हर दिन काम किया और उपचुनाव के बाद से संगरूर से लड़ने की तैयारी की। गोल्डी ने कहा कि वह कांग्रेस के सारे गंदे राज उजागर करेंगे कि कैसे उन्होंने इतने सारे घर बर्बाद कर दिए, कैसे यह 5-7 लोगों का समूह है जो सब कुछ आपस में बांट रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने कांग्रेस छोड़ी नहीं बल्कि उन्हें कांग्रेस से निकाला गया है। उन्होंने कहा कि उन्हें 2022 में उपचुनाव लड़ने के लिए मजबूर किया गया जब बाकी सभी ने इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि बात टिकट और पद की नहीं है, कभी-कभी बात स्वाभिमान की होती है।
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Gautam Jalandhari (Editor)