• सांसद राघव चड्ढा बोले- हवाई यात्रा की बढ़ती कीमतों से आम आदमी के लिए सफर करना हुआ महंगा, प्लेन से ट्रेन पर लौट रहा आम आदमी
• एयरपोर्ट्स पर महंगे खानपान और लंबी कतारों का मुद्दा भी संसद में उठाया
• राघव चड्ढा ने सस्ती ‘उड़ान’ योजना पर उठाए सवाल, कहा- जब से योजना लागू हुई, तब से बंद हुईं कई एयरलाइंस कंपनियां
• सांसद बोले- महंगी टिकट के बाद भी यात्रा की कोई गारंटी नहीं, आपका सामान चाहे टूटे चाहे फूटे कोई वारंटी नहीं!
*नई दिल्ली, 04 दिसंबर 2024:*
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने संसद में भारतीय वायुयान विधेयक 2024 पर चर्चा करते हुए देश के आम नागरिकों की हवाई यात्रा से जुड़ी चुनौतियों को बेहद मार्मिक तरीके से प्रस्तुत किया। उन्होंने हवाई यात्रा को आम जनता के लिए सुलभ बनाने और इसमें सुधार लाने की जरूरत पर जोर दिया।
सांसद राघव चड्ढा ने संसद में दिए अपने भाषण में कहा, "सरकार ने वादा किया था कि हवाई चप्पल पहनने वालों को हवाई जहाज में यात्रा करवाएंगे, लेकिन हो रहा है इसका उल्टा। आज हवाई चप्पल तो छोड़िए, बाटा के जूते पहनने वाला भी हवाई यात्रा का खर्चा नहीं उठा सकता।"
उन्होंने बताया कि सिर्फ एक साल के भीतर हवाई यात्रा के किरायों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है, जिससे आम जनता पर बोझ बढ़ा है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली से मुंबई और पटना जैसे सामान्य रूट्स पर टिकटों की कीमतें 10,000 से 14,500 रुपये तक पहुंच गई हैं। वहीं, उन्होंने मालदीव का उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार एक तरफ को मालदीव की बजाय लक्षद्वीप को टूरिस्ट डेस्टिनेशन के तौर पर प्रचारित कर रही है, लेकिन मालदीव का किराया 17 हजार रुपये है, तो वहीं लक्षद्वीप का किराया 25 हजार रुपये है।
*एयरपोर्ट्स बने बस अड्डा*
सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि देश के एयरपोर्ट्स की हालत बस अड्डों से भी बदतर हो गई है। लंबी लाइनों, भीड़भाड़, और खराब प्रबंधन के कारण यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्होंने इस स्थिति को सुधारने और यात्री सुविधाओं को बेहतर बनाने की मांग की।
*हवाई यात्रा: सुविधा या लक्ज़री?*
राघव चड्ढा ने कहा कि हवाई यात्रा को लक्ज़री ट्रेवल बनाने की बजाय आम यात्री के लिए सुलभ बनाना है। इस देश में जहाज में उड़ना और जहाज में उड़ कर मंजिल तक पहुंचना, आज भी इस देश की बहुत बड़ी आबादी के लिए बहुत बड़ा सपना है। उन्होंने यह भी कहा कि हवाई यात्राओं के लिए लंबी कतारें, देरी, और बुनियादी सुविधाओं की कमी आम यात्रियों के लिए भारी समस्या बनी हुई है। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति एयरपोर्ट तक टैक्सी में 600-700 रुपये देकर पहुंचता है, उसे पता लगता है कि फ्लाइट 3 घंटा देरी से है।
उन्होंने एयरपोर्ट्स पर महंगे खानपान का मुद्दा उठाते हुए कहा, "एयरपोर्ट्स पर पानी की बोतल 100 रुपये की मिल रही है। एक कप चाय के लिए भी 200-250 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। क्या सरकार एयरपोर्ट्स पर सस्ते और उचित मूल्य की कैंटीन शुरू नहीं कर सकती?"
*टूरिज्म और कनेक्टिविटी का मुद्दा*
चड्ढा ने यह भी बताया कि देश के कई प्रमुख पर्यटन स्थलों तक एयरपोर्ट से पहुंचना कठिन है। "टूरिस्ट स्पॉट्स और एयरपोर्ट्स के बीच कनेक्टिविटी न होने के कारण हमारा पर्यटन प्रभावित हो रहा है। हम पोटेंशियल टूरिज्म खो रहे हैं।"
*एयरपोर्ट्स पर भारी कार पार्किंग चार्जेस बनी समस्या*
एयरपोर्ट्स पर भारी कार पार्किंग शुल्क पर बोलते हुए राघव चड्ढा ने कहा कि छोटी जगहों पर पार्किंग चार्ज 200-250 रुपये प्रति घंटे तक पहुंच गया है, जबकि बड़े एयरपोर्ट्स पर यह 220 रुपये प्रति घंटे है। दिल्ली एयरपोर्ट पर पार्किंग के इन ऊंचे शुल्कों के चलते टैक्सी चालकों भी अतिरिक्त खर्च यात्रियों से वसूल रहे हैं। और इस महंगे शुल्क का बोझ आम जनता को उठाना पड़ रहा है। उन्होंने एयरपोर्ट्स पर पार्किंग चार्ज के इन असमान्य दरों को नियंत्रित करने की जरूरत पर जोर दिया।
*ओवरवेट बैगेज पर एयरलाइंस यात्रियों से कर रहीं वसूली*
सांसद राघव चड्ढा ने ओवरवेट बैगेज चार्जेज का भी मुद्दा सदन में उठाया। उन्होंने कहा कि आजकल हवाई यात्रा में यात्रियों को बैगेज चार्जेस और बैगेज डिलेज जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। एक किलो ओवरवेट बैगेज पर एयरलाइंस हजारों रुपये तक के अतिरिक्त चार्ज वसूल करती हैं, जिससे कई बार यात्री सामान छोड़ने के लिए मजबूर हो जाते हैं। बैगेज डिलेज की समस्या पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि बहुत बार स्क्रीन पर "बैगेज ऑन बेल्ट" लिखा होता है, लेकिन आम यात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। इस स्थिति को लेकर सरकार से आग्रह है कि इस मुद्दे को शीघ्र हल करने के लिए कोई स्थिर नीति बनाई जाए।
*फ्लाइट में देरी और कैंसिलेशन का मुद्दा*
राघव चड्ढा ने फ्लाइट में देरी और कैंसिलेशन को लेकर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, "लोग जल्दी मंजिल पर पहुंचने के लिए महंगी हवाई यात्रा का विकल्प चुनते हैं, लेकिन फ्लाइटें चार से पांच घंटे तक लेट हो जाती हैं। खास तौर पर छोटे शहरों में यह बड़ी समस्या है, जहां फ्लाइट घंटों लेट होती हैं। ऐसी स्थिति में कोई जिम्मेदारी लेने वाला नहीं होता।"
*उड़ान योजना पर उठाए सवाल*
भारत सरकार ने 'उड़े देश का आम नागरिक' उड़ान योजना शुरू की थी, जिसका उद्देश्य आम नागरिक को सस्ती हवाई यात्रा प्रदान करना था, लेकिन इसके बावजूद हवाई यात्रा की कीमतें आसमान छूने लगी हैं। इस योजना के बावजूद दो एयरलाइंस कंपनियों गो एयर और जेट एयरवेज ने अपनी सेवाएं बंद करना शुरू कर दीं, औऱ तीसरी स्पाइस जेट बंद होने की कगार पर है। उन्होंने कहा कि आम नागरिक के लिए सस्ती यात्रा का सपना अधूरा ही रह गया है।
उन्होंने कहा कि यही वजह है कि देश का आम नागरिक प्लेन से वापिस ट्रेन पर जा रहा है।
*एविएशन सेक्टर में कंपनियों का एकाधिकार*
सांसद राघव चड्ढा ने एविएशन सेक्टर में बढ़ते एकाधिकार पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मौजूदा दो एयरलाइंस कंपनियां मनमाने दामों पर टिकट बेच रही हैं। उन पर किसी का कोई कंट्रोल नहीं है। सरकार को इस क्षेत्र में नई कंपनियों को प्रोत्साहन देना चाहिए ताकि प्रतिस्पर्धा बढ़े और सेवाओं में सुधार हो।
राघव चड्ढा ने अपने भाषण में कहा कि हवाई यात्रा आज भी आम नागरिकों के लिए एक सपना है। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह हवाई यात्रा को सरल, सस्ता और सुविधाजनक बनाने के लिए ठोस कदम उठाए। उन्होंने कहा, "देश की तरक्की के लिए ट्रांसपोर्ट सिस्टम का सशक्त होना जरूरी है। जब यात्रा की रफ्तार बढ़ेगी, तभी देश आगे बढ़ेगा।"
*अंत में उन्होंने चंद लाइनें बोल कर आम आदमी के दर्द को संसद के सामने रखा...*
“कहीं है लंबी लाइनें
कहीं चेक-इन से पहले काउंटर बंद
कहीं स्लो चल रहा है सर्वर
कहीं इंटरनेट है मंद
महंगी टिकट के बाद भी यात्रा की कोई गारंटी नहीं
आपका सामान चाहे टूटे चाहे फूटे कोई वारंटी नहीं
जो हाल है बस अड्डों का
वही तस्वीर आती है एयरपोर्ट से
चाय हो या समोसा
नहीं मिल रहा 500 रुपये के नोट से
रोज फ्लाइटें रद्द हो रही हैं
धमकी-बम विस्फोट से
कब तक आम आदमी मरता रहेगा एयरपोर्ट की छत गिरने की चोट से
जनता की मुश्किलें तो पल भर में मिट जाएं
अगर सरकार को फुर्सत मिल जाए चुनाव या वोट से”
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