प्रसिद्ध हिंदी उपन्यासकार डॉ. अजय शर्मा द्वारा नवलिखित उपन्यास खार्किव के खंडहर का यहां अनौपचारिक तौर पर विमोचन हुआ। बिलकुल सादा तौर पर हुए इस विमोचन के दौरान डॉ. शर्मा ने वहां मौजूद साहित्यकारों को अपनी पुस्तक की प्रतियां भेंट की और अपनी पुस्तक के बारे में संक्षिप्त तौर पर उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि उपन्यास में कुल 9 पात्र हैं। उन्हें अपने नये उपन्यास से काफी उम्मीदें हैं। उन्होंने कहा कि पाठकों और आलोचकों से उन्हें अब तक जो प्रतिक्रिया मिली है वह काफी संतोषजनक है, उन्होंने कहा कि उपन्यास का विषय रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध पर आधारित है। उपन्यास की शुरुआत एक युवा वासुदेव से होती है जो मेडिकल की पढ़ाई के लिए वहां गया था और युद्ध की स्थिति से घिरा हुआ था। भारत सरकार के प्रयासों से वह और उसके जैसे अन्य युवा भारत तो आ गये। उपन्यास बहुत ही नाटकीय और सहज ढंग से लिखा गया है। वहां उपस्थित साहित्यकारों का मत था कि इतने कम पात्रों को लेकर किसी उपन्यास की कहानी बनाना, उसे आगे बढ़ाना और अन्य सहायक कहानियों को जोड़कर उसे मुख्य कहानी में समाहित करना बहुत मुश्किल काम है। उपन्यास के सभी पात्र अपने मनोवैज्ञानिक संघर्षों और युद्ध के ज़हर को बहुत अच्छे से प्रस्तुत करते हैं। उपन्यास में कहीं भी ऐसा नहीं लगता कि इतने कम पात्रों के आधार पर लिखा गया यह उपन्यास अपने उद्देश्य पर खरा नहीं उतरता और किसी भी पात्र के साथ न्याय नहीं करता। उपन्यास में सभी पात्रों को अपने विचार व्यक्त करने का पूरा स्थान दिया गया है। तरसेम गुजराल ने कहा कि उपन्यास रूस के यूक्रेन पर हमले और मानव जाति की तबाही पर रचा गया है। इस उपन्यास में तबाही की भयानकता का सटीक चित्रण किया गया है। दिलीप कुमार पांडेय ने कहा कि यह एक ऐसा उपन्यास है जो वर्तमान समय से आगे की बात करता है। उपन्यास में युद्ध की त्रासदी को लेकर मानवीय संबंधों को सुदृढ़ बनाने पर बल दिया गया है। मनोज धीमान ने कहा कि दिलचस्प बात यह है कि डॉ. अजय शर्मा कभी रूस या यूक्रेन नहीं गए, लेकिन एक पाठक उपन्यास को पढ़कर इसका अंदाजा नहीं लगा सकता। ऐसा लगता है मानों उपन्यासकार ने युद्ध भूमि पर जाकर ही उपन्यास लिखा हो। इस प्रकार यह कहने में कोई संदेह नहीं है कि -खार्किव के खंडहर- उपन्यास डॉ. अजय शर्मा के साहित्यिक क्षेत्र में एक और मील का पत्थर है। इस अवसर पर अन्य के अतिरिक्त संजीव डावर, विनोद कुमार, डॉ बलविंदर व सीमा भाटिया मौजूद थी। डॉ. अजय शर्मा ने अब तक 16 हिंदी उपन्यास और 5 नाटक लिखे हैं। इनमें से उनके पांच उपन्यास पंजाबी यूनिवर्सिटी, जीएनडीयू और एलपीयू सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों में विभिन्न पाठ्यक्रमों में पढ़ाए जा रहे हैं। उनके उपन्यासों पर अब तक विभिन्न विश्वविद्यालयों में 29 एमफिल और 5 पीएचडी पूरी हो चुकी हैं। उन्हें पंजाब सरकार द्वारा शिरोमणि हिंदी साहित्यकार पुरस्कार, केंद्रीय हिंदी निदेशालय पुरस्कार और यूपी सरकार द्वारा सौहार्द पुरस्कार जैसे कई पुरस्कार मिले हैं।
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Gautam Jalandhari (Editor)