महिला दिवस केवल एक दिन की औपचारिकता नहीं, बल्कि समाज में महिलाओं की उपलब्धियों, संघर्षों और योगदान को सम्मान देने का अवसर है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि नारी केवल स्नेह और ममता का प्रतीक नहीं, बल्कि शक्ति, साहस और आत्मनिर्भरता की मिसाल भी है।
आज महिलाएँ हर क्षेत्र में अपनी क्षमता और काबिलियत का परिचय दे रही हैं—चाहे वह राजनीति हो, विज्ञान, व्यापार, खेल या सामाजिक परिवर्तन। लेकिन इसके बावजूद, समाज में अब भी लैंगिक भेदभाव, असमानता और सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। महिला दिवस का असली उद्देश्य केवल बधाइयाँ और कार्यक्रम तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि यह दिन महिलाओं को समान अवसर, सम्मान और अधिकार दिलाने की दिशा में संकल्प लेने का अवसर भी होना चाहिए।
सशक्त महिला ही सशक्त समाज की नींव रखती है। इसलिए हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह महिलाओं को समर्थन और समानता का अधिकार दे, ताकि वे अपनी पूरी क्षमता के साथ आगे बढ़ सकें। आइए, इस महिला दिवस पर हम केवल संदेशों तक सीमित न रहें, बल्कि अपने व्यवहार और सोच में भी बदलाव लाएँ, जिससे एक सशक्त और समान समाज का निर्माण हो सके।
ईशा त्रिपाठी सूरी संस्थापिका
शिव शक्ति जनकल्याण ट्रस्ट
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Gautam Jalandhari (Editor)