राजेंद्र सिंह जादौन
चंडीगढ़, 22 जनवरी। दिल्ली हाईकोर्ट से हरियाणा के भाजपा नेता कुलदीप बिश्नोई को झटका लगा है। हाईकोर्ट ने कुलदीप की मालिकाना कंपनी को लीज की आधी राशि ट्रायल कोर्ट में जमा करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को कायम रखा है।
कुलदीप बिश्नोई की कंपनी ने 20 मई 2013 को फार्म हाउस लीज पर लिया था। मगर बाद में उसका किराया नहीं चुकाया। लीज अवधि खत्म होने के बाद उसे मालिक को वापस नहीं सौंपा था।
दिल्ली के रजोकरी में एक फार्म हाउस को कंपनी मेसर्स सेठ इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक कुलदीप बिश्नोई और उनके परिवार ने आवासीय उपयोग के लिए प्रति माह 4.25 लाख के किराए पर 2 साल की अवधि के लिए लिया था।
याचिकाकर्ता के साथ 20 मई 2013 को किया गया पट्टा समझौता 14 अप्रैल 2015 को समाप्त हो गया। 2 कानूनी नोटिस मिलने के बावजूद परिसंपत्ति पर कब्जा उसके मालिक निमिताया प्रॉपर्टीज लिमिटेड को हस्तांतरित नहीं किया गया। ना ही इसके उपयोग एवं कब्जा रखने को लेकर कोई शुल्क चुकाया गया।
याचिककर्ता वर्ष 2015 में कोर्ट में चला गया। कोर्ट को बताया था कि पट्टे की शर्तों का गंभीर उल्लंघन करते हुए कंपनी ने परिसर में राजनीतिक गतिविधियां की है। इसे राजनीतिक दल हरियाणा जनहित कांग्रेस का मुख्यालय भी बताया था। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने दिसंबर 2020 को कुलदीप बिश्नोई को फार्म हाउस खाली करने का आदेश दिया और एक स्थानीय कमिश्नर नियुक्त किया। मालिक को 5 साल के बाद फार्म हाउस सौंपा गया।
कुलदीप बिश्नोई अब कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो चुके हैं। इससे पहले 2016 में उन्होंने पिता हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल की बनाई हरियाणा जनहित कांग्रेस का विलय कांग्रेस में कर दिया था।अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सत्यव्रत पांडा ने पिछले साल एक फैसले में प्रतिवादी कंपनी को 15 अप्रैल 2015 से 14 अप्रैल 2017 तक के लिए प्रति माह 4.25 लाख रुपए की दर से उपयोग एवं अन्य शुल्क अदा करने का निर्देश दिया था। उस समय अदालत ने कहा था कि, ‘इसी तरह, 15 नवंबर 2020 तक हर दो साल पर रकम का हिसाब 15 प्रतिशत की वृद्धि के साथ किया जाए और प्रतिवादी को उक्त रकम दो महीनों के अंदर अदालत में जमा करने का निर्देश दिया जाता है। कुल रकम 3.75 करोड़ बनती है।