कहते है रूड़ी की भी बारह साल के बाद सुनवाई हो जाती है। लेकिन नगर निगम के कर्मचारियों के आश्रितों के साथ ऐसा नहीं है। मामला लुधियाना नगर निगम से संबंधित है, जहां नगर निगम के चतुर्थ श्रैणी कर्मियों जो या तो सेवानिवृत हो चुके है या फिर उनका निधन हो चुका है, उनके आश्रित सेवाओं का लाभ पैन्शन इत्यादि लेने के लिए नगर निगम में धक्के खा रहे है।
इस बारे जानकारी देते हुए पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता परमिंदर मेहता ने खुलासा करते हुए बताया कि स्थानीय नगर निगम के चतुर्थ श्रैणी कर्मचारी जिनमें अधिकतर सफाई सेवक व सीवरमैन इत्यादि शामिल है, के सेवामुक्त होने के बाद इन्हें मिलने वाले सेवा लाभ पैंशन इत्यादि लेने के लिए जहां क्लर्क से लेकर उपर तक मुट्ठी गरम करनी पड़ती है। वहीं कई केसों में तो मुट्ठी गर्म करने के बावजूद सेवामुक्त कर्मचारी की मृत्यु तक होने के उपरांत उनके आश्रितों को भी लंबे समय तक उपरोक्त लाभ व पेंशन लेने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। मेहता ने बताया कि ड्रिलिंग हैंड क्लर्क आब्जेक्शन के नाम पर महीनों फाइलों को दबा कर रख रहे है। जिनसे जवाब तलब करने वाले भी आंखे मूंदे बैठे है। उन्होंने आरोप लगाया कि संबंधित विंग में लंबे समय से तैनात कर्मचारी व अधिकारी द्वारा अपना एक ऐसा जाल बनाया हुआ है कि कोई भी संबंधित फाइल बिना वजन डाले सीट से आगे नहीं खिसकती है। ऐसे में कई सीटों पर फाइल पर भ्रष्टाचारी रूपी पहिये लगाने प्रक्रिया किसी से छिपी नहीं है। यह समस्या कर्मचारियों को ही नहीं बल्कि अधिकारियों तक को उठानी पड़ती है तथा कई बार तो उन्हें जलील तक होना पड़ता है। उन्होंने रोष प्रकट करते हुए कहा कि पीड़ित परिवारों द्वारा उच्चाधिकारियों को शिकायतें करने के बावजूद कोई सुनवाई न होने से मजबूर जरूरतमंद उक्त विभाग के भ्रष्टाचार रूपी जाल में फंस कर रह जाता है। मेहता ने लोकल बाडी मंत्री डा. इंद्रबीर सिंह निझर से अनुरोध किया है कि वह निगम में लंबे समय से लंबित पड़े ऐसे केसों की उच्च स्तरीय जांच करवाकर संबंधित परिवारों को शीघ्र राहत प्रदान करने के लिए ठोस कदम उठाए।