* डेविएट कॉलेज स्थित सभागार में सतयुग दर्शन संगीत कला केंद्र जालंधर द्वारा 15 वी अंतर जनपदीय सांगीतिक प्रतियोगिता का समापन समारोह बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया।*
इस अवसर पर सतयुग दर्शन ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी श्रीमती रश्मा गांधी जी,श्री सज्जन , चेयरपर्सन श्रीमती अनुपमा तलवार , प्राचार्य दीपेंद्र कांत ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। श्री सजन जी ने अपने आशीर्वचन में उपस्थित सजनो से सजन भाव अपनाने के लिए निवेदन किया ,क्योँकि केवल यही मार्ग ही सजनो को सच्चा मानव बना अपने लक्ष्य तक पंहुचाने में सहायक हो सकता है | इसके पश्चात समय के गतिशील चक्र को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थियों के दवारा एक नृत्य नाटक प्रस्तुत किया गया जिसमें समय के महत्व को दर्शाते हुए बताया गया कि समय की पुकार को सुनो और समझो तभी हम अपना व् अपने देश का उद्धार करने में सक्षम बन सकेंगे |जिसके लिए आवश्यकता है उचित भौतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा की और इसके लिए हमें सकारात्मक भाव अपना कर नैतिक मूल्यों को अपने व्यवहार में दर्शाने का पराक्रम दिखाना होगा |
मुख्य अतिथि ने सभी विजेताओं, उपविजेताओं एवम सभी विशिष्ट अतिथियों को प्रतीक चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया एवम अपने वक्तव्य में सभी प्रतिभागियों की सराहना की साथ ही संगीत रुपी कला को सीखने के लिए भी प्रेरित किया।
श्रीमती अनुपमा तलवार जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि संगीत-विद्या का प्रयोग आदिकाल अर्थात् वैदिक काल से ही सुदृढ़ संस्कृति स्थापना हेतु किया जाता रहा है। यह पद्धति मानवता संविधान के अनुकूल हर सजन के मन, रूचि, आचार-विचार,कला-कौशल को युक्तिसंगत निपुणता प्रदान कर हर समयकाल में सभ्यता के क्षेत्र में बौद्धिक विकास की सूचक रही है। तत्कालीन संगीत यानि लय, ताल, नृत्य आदि में मन को जाग्रत करने की अद्भुत क्षमता थी जो मनुष्य की मानसिक स्थिति को सम में सुदृढ़ रखती थी। तब का संगीत दिव्य मार्ग प्रशस्त करने का अर्थात् परमानन्द तक पहुँचाने का सर्वश्रेष्ठ साधन था तथा शाश्वत ध्वनि से उत्पन्न हुआ माना जाता था। वह अखण्ड और अटूट था तथा सभी संगीत को जीवन में स्पंदन रूप से चेतना का प्रतीक मानते थे अर्थात् संगीत प्रणव-वाचक, ओ३म रूपी नाद ब्रह्म कहलाता था तभी इस कला को उस काल में सब आत्म-मार्ग का सर्वोच्च निर्देशक मानते थे और यह हृदय को निर्मल बनाने व मानव स्वास्थ्य की रक्षा करने के साधन के रूप में जाना जाता था। संक्षेपतः हम कह सकते हैं कि वह संगीत धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रदायक भी था और स्वर समाधि द्वारा ब्रह्मलीन होने का माध्यम भी वर्तमान युग में संगीत द्वारा मानव जाति के चरित्र का अत्यन्त गर्त की स्थिति तक पतन हो रहा है। आज का संगीत वासना जैसे भयंकरतम पाप की अग्नि को बढ़ाने में एड्ड ईंधन के रूप में कार्य कर हर मानव को अमिट दुर्गति की ओर ले जा रहा है। समाज की इस गंभीर व विकट परिस्थिति के दृष्टिगत समस्त संगीतज्ञों व विद्वानों को एक मूक दृष्टा की भांति मानवता को पतन की ओर जाते हुए नहीं देखना चाहिए अपितु अपनी योग्यता, गुण एवं प्रतिभा का प्रयोग सच्चरित्रता व नैतिकता के मूल्यों को स्थापित करने में लगाना चाहिए। इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए सतयुग दर्शन ट्रस्ट द्वारा संगीत के माध्यम से मनुष्य के शारीरिक, मानसिक व आत्मिक स्वास्थ्य के उत्थान के लिए सतयुग दर्शन संगीत कला केन्द्र की स्थापना आवश्यक समझी गई।
सतयुग दर्शन संगीत कला केन्द्र अपने उद्देश्यों को प्रसारित करने में अवश्य सफल होगा।यह भी कहा कि इसी कला के माध्यम से व्यक्ति अपना चित्त शांत, बुद्धि स्थिर रखकर इस विद्या मे निपुण बन बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकता है। साथ ही सभी विद्यार्थियों को समाज में व्याप्त बुराइयों से बचने की सलाह दी।
15वी अंतर जनपदीय संगीत प्रतियोगिता के विजेता को सम्मान करते हुए परिणाम इस प्रकार रहा समूह गान जुनियर प्रतियोगिता में पठानकोट शहर से आर्मी पब्लिक स्कूल से प्रथम स्थान प्राप्त पर रहा जिसको 5100 रुपए नकद धनराशि बटाला शहर से आर डी खोसला डी ए वी स्कूल मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल द्वितीय स्थान पर रहा जिसको 3100 रुपए एवम् लुधियाना शहर से भारतीय विद्या मन्दिर सीनियर सेकेंडरी स्कूल किचलू नगर शहीद तृतीय स्थान पर रहा जिसे 2100 रुपए की धनराशि पुरुष्कार स्वरूप, ट्राफीज एवम् सर्टिफिकेट्स आदि से सम्मानित किया गया|
समूह गान सीनियर प्रतियोगिता में जालंधर शहर से दी गुरुकुल स्कूल से प्रथम स्थान प्राप्त पर रहा जिसको 5100 रुपए नकद धनराशि पठानकोट शहर से क्रिस्टी दी किंग कॉन्वेंट स्कूल द्वितीय स्थान पर रहा जिसको 3100 रुपए एवम् बटाला शहर से जिया लाल मित्तल डी ए वी पब्लिक स्कूल तृतीय स्थान पर रहा जिसे 2100 रुपए की धनराशि पुरुष्कार स्वरूप, ट्राफीज एवम् सर्टिफिकेट्स आदि से सम्मानित किया गया|
तत्पश्चात समूह नृत्य जुनियर प्रतियोगिता में होशियारपुर शहर से टोडलर होम स्टडी हाल स्कूल प्रथम स्थान प्राप्त पर रहा जिसको 5100 रुपए नकद धनराशि, पठानकोट शहर से क्राइस्ट द किंग कॉन्वेंट स्कूल द्वितीय स्थान पर रहा जिसको 3100 रुपए एवम् लुधियाना शहर से भारतीय विद्या मंदिर सीनियर सेकेंडरी स्कूल तृतीय स्थान पर रहा जिसे 2100 रुपए की धनराशि पुरुष्कार स्वरूप, ट्राफीज एवम् सर्टिफिकेट्स आदि से सम्मानित किया गया|
समूह नृत्य सीनियर प्रतियोगिता में लुधियाना शहर से गुरु नानक इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल प्रथम स्थान प्राप्त पर रहा जिसको 5100 रुपए नकद धनराशि, पठानकोट शहर से एस एम एस डी राजपूत पुब्लिक स्कूल द्वितीय स्थान पर रहा जिसको 3100 रुपए एवम् होशियारपुर शहर से टॉड्लर होम स्टडी हाल स्कूल तृतीय स्थान पर रहा जिसे 2100 रुपए की धनराशि पुरुष्कार स्वरूप, ट्राफीज एवम् सर्टिफिकेट्स आदि से सम्मानित किया गया|
मुख्य अतिथि ने सभी विजेताओं, उपविजेताओं एवम सभी विशिष्ट अतिथियों को प्रतीक चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया एवम अपने वक्तव्य में सभी प्रतिभागियों की सराहना की साथ ही संगीत रुपी कला को सीखने के लिए भी प्रेरित किया।यह भि कहा कि इसी कला के माध्यम से व्यक्ति अपना चित्त शांत, बुद्धि स्थिर रखकर इस विद्या मे निपुण बन बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकता है। साथ ही सभी विद्यार्थियों को समाज में व्याप्त बुराइयों से बचने की सलाह दी।
अंत में प्रत्येक उत्सव की शोभा बढ़ाने वाले नृत्य भंगड़ा ने सभी को झूमने पर विवश कर दिया |
प्रिंसिपल दीपेंद्र कांत ने सभी विजेताओं को बधाई देते हुए मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि एवम इस प्रतियोगिता से जुड़े सभी लोगों का धन्यवाद किया।
मंच संचालन नवीन नंगिया एवम गुन खेड़ा ने किया। अवसर प्रति सतयुग दर्शन संगीत कला केंद्र के सदस्य अशोक सिक्का जी सुमित सिक्का जी राजीव नागपाल यतिन सिक्का जी भूषण सिक्का जी नरेंद्र चड्ढा मोहित कपूर कपिल छाबड़ा किशोर रेखा कुसुम पूजा निशा उपमा एवम श्रुति उपस्थित रहे.
तत्पश्चात प्रतियोगिता समाप्त हुई।*
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Gautam Jalandhari (Editor)