पंजाब के सरकारी महाविद्यालयों में कार्यरत योग्य सहायक प्राध्यापक गेस्ट फैकल्टी की राज्य स्तरीय बैठक (माझा व दोआबा क्षेत्र) लुधियाना में हुई, जिसमें मालवा के लगभग 20 शासकीय महाविद्यालयों ने भाग लिया। इस सभा में पिछले दिनों पंजाब सरकार द्वारा गेस्ट फैकल्टी का मानदेय बढ़ाने के निर्णय पर चर्चा की गई। प्रो गुरसेवक सिंह (अध्यक्ष), प्रो. गुरजीत सिंह (उपाध्यक्ष), प्रो. प्रदीप सिंह (महासचिव) ने बताया कि पंजाब सरकार का यह निर्णय पूरे शिक्षित समुदाय के बीच चर्चा का विषय रहा है क्योंकि इसने सहायक प्रोफेसर बनने की बुनियादी योग्यता (नेट/पीएचडी) की पूर्ण अवहेलना करते हुए मात्र वर्षों के आधार पर मानदेय में वृद्धि की है। एक तरफ पंजाब सरकार ने यूजीसी से कॉलेजों में रिटायर्ड प्रोफेसरों को विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर रखने को कहा है जिसमें नियमानुसार पात्रता के आधार पर आदेश भी दिया जा रहा है और दूसरी ओर गेस्ट फैकल्टी के संबंध में योग्यता की अनदेखी की जा रही है। इस निर्णय से अयोग्य गेस्ट फैकल्टी को योग्य गेस्ट फैकल्टी से अधिक मानदेय मिलेगा, जो अपने आप में उच्च शिक्षा के प्रति पंजाब सरकार की अगंभीरता और अवैज्ञानिक सोच को दर्शाता है। योग्य गेस्ट फैकल्टी ने बताया कि पंजाब के पड़ोसी राज्य हरियाणा में 'समान काम समान वेतन' के तहत बेसिक वेतन 57,700 रुपये प्रति माह है, जबकि पंजाब सरकार ने गेस्ट फैकल्टी का मानदेय 33,600 - 47,100 रुपये प्रति माह कर के पल्ला झाड़ दिया है। उल्लेखनीय है कि पंजाब के सरकारी कॉलेजों में करीब 850 गेस्ट फैकल्टी सेवारत हैं, जिनमें से लगभग 450 योग्य सहायक प्राध्यापक गेस्ट फैकल्टी के रूप में कार्यरत हैं। गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति एक सार्वजनिक साक्षात्कार पैनल के माध्यम से योग्यता के आधार पर की गई है। महाविद्यालयों के शैक्षणिक, प्रशासनिक एवं वित्तीय कार्य भी नियमित प्राध्यापकों की भाँति संबंधित गेस्ट फैकल्टी द्वारा किया जा रहा है। बैठक के दौरान योग्य गेस्ट फैकल्टी के प्रतिनिधिमंडल प्रो. गुरमीत रोमाना, प्रो. मनप्रीत कौर, प्रो. भजन लाल, प्रो. रमनदीप कौर ने पंजाब सरकार के गेस्ट फैकल्टी और सरकार का मानदेय बढ़ाने के फैसले पर असहमति जताई। पंजाब में यूजीसी स्केल लागू होने जा रहा है और सातवें वेतनमान के अनुसार हरियाणा सरकार की तर्ज पर 'समान काम समान वेतन' के तहत न्यूनतम मूल वेतन + ग्रेड पे और डीए, पूरे साल के लिए राजकोष से सीधे अनुदान की मांग की। संगठन ने घोषणा की कि अगर सरकार उनकी जायज मांगों को नहीं मानती है तो उन्हें कड़ा संघर्षपूर्ण रास्ता अपनाने के लिए मजबूर किया जाएगा। इस अवसर पर माझा-दोआबा क्षेत्र के विभिन्न महाविद्यालयों के प्रतिनिधि प्रो. कुलदीप चंद, डॉ. सुभाष कुमार, प्रो. जय कुमार, प्रो. सतविंदर सिंह, प्रो. मनप्रीत कौर,प्रो करमदीप कौर, प्रो. कुलविंदर कौर आदि शामिल थे।