ट्राइडेंट फाउंडेशन द्वारा "पराली समाधान" शीर्षक से शुरू की गई पहल के तहत, फाउंडेशन किसानों को धान के अवशेषों को जलाने के लिए एक व्यवहारिक विकल्प प्रदान कर रहा है। ट्राइडेंट फाउंडेशन ने इन गांवों के किसानों को 2000 एकड़ के कुल क्षेत्रफल पर पराली का निपटान करने वाली मशीनरी को प्रदान किया है। अब तक इन गांवों में 6000 टन पराली को उठाया जा चुका है और साथ ही खेतों की सफाई का पूरा खर्च भी ट्राइडेंट फाउंडेशन वहन करेगा।
किसानों को प्रदान की जाने वाली मशीनों में रीपर/मल्चर शामिल हैं जो पौधे के शेष भाग (स्टबल) को शून्य स्तर पर काटती हैं, मेकर मशीन इन फसल अवशेषों के ढेर बनाती है और बेलर मशीन की मदद से स्टबल इकट्ठा कर लोडिंग के लिए इनकी चौकोर या गोल गांठ बना दी जाती है। ट्राइडेंट फाउंडेशन द्वारा किसानों को बिना किसी कीमत के यह सारी मशीनरी उपलब्ध कराई जा रही हैं ।
"पराली समाधान" की इस पहल के बारे में विवरण साझा करते हुए ट्राइडेंट फाउंडेशन के प्रवक्ता ने कहा कि, "ट्राइडेंट फाउंडेशन यह सुनिश्चित करने की हमारी प्रतिबद्धता में अपना योगदान दे रहा है कि मनुष्य और प्रकृति सह-अस्तित्व में रहे और साथ साथ फले-फूलें। यह काम ट्राइडेंट फाउंडेशन ने अतीत में भी किया है और आगे भी करता रहेगा। वैज्ञानिक पहलुओं बेहतर पराली प्रबंधन प्रथाओं को अपनाने के लिए ट्राइडेंट फाउंडेशन किसानों को जागरूक करने के लिए कई प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की भी योजना बना रहा है।
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Gautam Jalandhari (Editor)